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कभी उदास तो खुश खुश कभी मिला कोई / ईश्वरदत्त अंजुम
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कभी उदास तो खुश खुश कभी मिला कोई
अजीब रंग में रहता है दिल जला कोई
दुआ सलाम नहीं पुर्शिसे मिजाज़े नहीं
कि तरह से भी मिलता है क्या भला कोई
हुजूमे-लाला-ओ-गुल में सभी से बेगाना
था एक फूल हमारे मिजाज़े का कोई
न लब हिले न कोई बात ही हुई लेकिन
पयाम आंखों ही आंखों में दे गया कोई
उसे ये ज़िद की वो दिल की गिरह न खोलेगा
अब उसकी ज़िद का करे भी तो क्या गिला कोई
जब कोई आया वो दिल में फ़रेब रख के मिला
मिला न खुल के कभी हमसे बरमला कोई
वो अपनी ज़िद पे है कायम इधर उधर हम भी
नहीं है लुतफो-महब्बत का सिलसिला कोई
खड़े हैं राह में हम के के हसरते-दीदार
इधर भी एक नज़र काश देखता कोई
निगाह फेर के निकला है कोई ऐ अंजुम
तमाम रिश्ते वफ़ा के मिटा गया कोई।