भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कभी खुशी का यूँ ही इंतज़ार मत करना / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी खुशी का यूँ ही इंतज़ार मत करना।
जो आ के जाय चली वह बहार मत करना॥

वो कौन है कि जिसे प्यार की तलाश नहीं
कि आशिको में शज़र को शुमार मत करना॥

उछल रहा है समन्दर उधर दिवानों सा
नदी की धार कभी तार-तार मत करना॥

हजार ख़्वाब निगाहों का बन गये मरकज़
न मिट सके वह नज़र का खुमार मत करना॥

मिली खुशी तो खिले फूल कई गुलशन में
हवा से कह दो इसे दाग़दार मत करना॥