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कभी तो दीन के दुखड़े कभी दुनिया नहीं मिलती / नवीन जोशी
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कभी तो दीन के दुखड़े कभी दुनिया नहीं मिलती।
कभी गायब है खेवय्या कभी नय्या नहीं मिलती।
ना कोई पेड़ मिलता है ना कोई छत ही मिलती है,
जहाँ हो धूप विधना की वहाँ छाया नहीं मिलती।
बड़ा संघर्ष हो जितना बड़ी उतनी ही होगी सीख,
महाभारत ना होता तो हमें गीता नहीं मिलती।
उसे ही मोक्ष मिलता है रहे जो कर्म के आधीन,
भगीरथ यत्न के बिन तो कभी गंगा नहीं मिलती।
उसे राधा भी मिलती है उसे मीरा भी मिलती है,
मगर कान्हा को राधा में कभी मीरा नहीं मिलती।
सियावर को नहीं समझे सिया को कैसे समझोगे,
कि जिसने राम को त्यागा उसे सीता नहीं मिलती।
दिलों में जब दरारें हो लकीरें खींचते हैं लोग,
जहाँ मिल जाते हैं दो दिल वहाँ सीमा नहीं मिलती।