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कभी तो मिलेगी नज़र देख लेना / रंजना वर्मा

कभी तो मिलेगी नज़र देख लेना
मुहब्बत का मेरी असर देख लेना

न जब साथ कोई दिखायी तुम्हें दे
खड़े हम जिधर हैं उधर देख लेना

यही एक दिन सबका अंजाम होगा
गिरा आँधियों में शज़र देख लेना

मुसीबत अकेली भला कब है आती
करें लोग कैसे बसर देख लेना

न ग़र रह सको साथ तनहाइयों के
रहे साथ जो हमसफ़र देख लेना

सताना किसी भी न मज़लूम को तुम
दुआओं का भी यों असर देख लेना

न चलना हो मुमकिन सफर हो अधूरा
नयी फिर कोई रहगुज़र देख लेना