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कभी न सोचो / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
कभी न सोचो-किसी फूल से मेरा गहरा नाता है।
अपनी ख़ुशबू वह बस मेरी ख़ातिर ही फैलाता है।
फूलों की दुनिया है प्यारी
उनकी ख़ुशबू भी प्यारी है।
जो भी उनके पास आ गया
वो ख़ुशबू का अधिकारी है।
फूल हमेशा अपनी ख़ुशबू सबके लिये लुटाता है।
कभी न सोचो किसी फूल से मेरा गहरा नाता है।
चंदा कभी चाँदनी अपनी
किसी एक पर नहीं लुटाये।
चारों ओर चाँदनी छिटकी
जो चाहे आनन्द उठाये।
कोई कहे-"चाँदनी मेरी" तो यह भ्रम कहलाता है।
कभी न सोचो-किसी फूल से मेरा गहरा नाता है।
पेड़-फूल-फल-हवा-रौशनी
पर्वत-झरने-नदिया-सागर।
बिना किसी भी भेदभाव के
हमें प्रकृति ने दिए बराबर।
जो प्रयास जितना करता है वह उतना पा जाता है।
कभी न सोचो-किसी फूल से मेरा गहरा नाता है।