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कभी भी किसी के न दिल को दुखाना / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कभी भी किसी के न दिल को दुखाना
तिरंगे के आगे सदा सिर झुकाना॥
खिली पंखुरी पर सजाओ न मोती
जिये दो घड़ी फिर इसे सूख जाना॥
रहे क्यों भटकता किसी राह कोई
पकड़ हाथ तुम मार्ग सबको दिखाना॥
अँधेरा घना है नहीं सूझता कुछ
जरा ढूँढ कर एक दीपक जलाना॥
बहारें चमन में नहीं रोज आतीं
धरा सींच कर फूल नूतन खिलाना॥
कभी दुख न करना अगर कष्ट पाओ
नये स्वप्न नित देश के हित सजाना॥
वतन ने तुम्हारे तुम्हें ज़िन्दगी दी
वतन के लिये ज़िन्दगी भी लुटाना॥