कभी भी किसी ने न हमको बुलाया।
रहा साथ हरदम हमारा ही साया॥
सभी साथ चलने को आतुर दिखे पर
छिपे दूर थे जब बुरा वक्त आया॥
चलाया सदा मोह माया ने चक्कर
नहीं सूझता आज अपना पराया॥
जुगत रोशनी की किसी ने तो की है
अँधेरा बहुत था घना खूब छाया॥
तमन्ना किसी की रहे क्यों अधूरी
घने वन में भी है सुमन मुस्कुराया॥
बहारें अगर हैं ठहरने न पायीं
रहेगा हमेशा न पतझार आया॥
भले राह लंबी बहुत दूर मंजिल
मिली है उसे पाँव जिस ने बढ़ाया॥