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कभी भी झूठ हिंसा को नहीं स्वीकार कर लेना / रंजना वर्मा

कभी भी झूठ हिंसा को नहीं स्वीकार कर लेना।
मिले निश्छल हृदय यदि तो उसी से प्यार कर लेना॥

जमाने में नहीं रिश्ता कोई भी प्यार के काबिल
अगर हो चाहते तो श्याम की मनुहार कर लेना॥

भला तुमने किया है या बुरा सब लौट आयेगा
सभी से सोच कर ऐसा उचित व्यवहार कर लेना॥

तुम्हारे कर्म ही केवल तुम्हारे साथ जायेंगे
सजा जग हाट है शुभ कर्म का व्यापार कर लेना॥

नदी नाले समन्दर वृक्ष सब शिक्षा यही देते
सदा उपकारमय यह ज़िन्दगी त्यौहार कर लेना॥