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कभी भी नहीं मर सकता / महेश चंद्र पुनेठा
Kavita Kosh से
उनके
दृढ़ इरादे
और कठिन परिश्रम
कठोर से कठोर काँठे को भी
बदल देते हैं
सुन्दर स्थापत्य में
रौखड़ में भी
लहलहा देते हैं हरियाली ।
फिर ये तो जीती-जागती
दुनिया है दोस्तो !
इसलिए
कभी भी नहीं मर सकता
मेरी आँखों में
सुंदर दुनिया का सपना ।