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कभी मैं भी गोरा था / अनस्तसीया येर्मअकोवा / अनिल जनविजय

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कभी मैं भी गोरा था
हर समय पहने रहता था
ऊनी मोजे ।

कभी मैं साहसी था
अजीब था
थोड़ा-सा ।

मुझे छाते पसन्द नहीं थे
वे मेरे शरीर से
काटते थे दिल
ढकते थे उसपर लिहाफ़
और उसे ले जाते थे ।

और तब से मैं
काला हो गया
तब किसी ने
मुझे नहीं बचाया ।

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
              Анастасия Ермакова
             Я когда-то был белым...

Я когда-то был белым,
не вылезал из шерстяных носков.
Я когда-то был смелым,
немного странным,
не любил зонтов.
Они вырезали из меня сердце,
упаковали в чехол и унесли.
И с тех пор я стал тёмным.
Меня тогда не спасли.

2014