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कमज़ोरी / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
कुछ लोग हैं
जो मेरे मित्र हो सकते थे
पर मैं उनके स्वार्थ में
शरीक नहीं हो सका।
कुछ सुख हैं
जिन्हें मैं आसानी से पा सकता था
पर जिनके लिए मैं अपना
निजत्व नहीं खो सका।
पर यह तो कमज़ोरी है
जो मेरी है
जिसे समय का गंगाजल भी
नहीं धो सका।
और भी बहुत से कुछ हैं
जिनके कारण
दुनिया दम तोड़ रही है
और मेरी कमज़ोरी मुझे
करोड़ों की भीड़ में
अकेला छोड़ रही है।