मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कमलक फूल सन हमर धीया छथि
जोहि लेली धीया के खबास यो
चलहु के बेर अहाँ घर नहि देखलौं
धीया आगू दीया केर नहि काज यो
आनि दीअ जहर माहुर खाय हम मरबई
हति लेब अपन प्राण यौ
कमलक फूल सन हमर धीया छथि
जोहि लेली धीया के खबास यो
चलहु के बेर अहाँ घर नहि देखलौं
धीया आगू दीया केर नहि काज यो
आनि दीअ जहर माहुर खाय हम मरबई
हति लेब अपन प्राण यौ