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कमल फूल अस कैना पाई / शेख किफ़ायत
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कमल फूल अस कैना पाई । रूपभान कर बात सुनाई ।।
मुनी के रूप भई रंग राती । उपजा बिरह बेथा सब गाती ।।
रूपा तोहार सुना जब लोना । अस भई कोई डारे जस टोना ।।
केहि विधि पार गेआ वही सोई । जौ लगि ई अमिल बधे नहि कोई ।।
आदर मान बहुत मोर कीन्हा । ओ लोचन पंडित संग कीन्हा ।।
जब लोचन भौ साथ हमारा । तब देखल हम दरस तोहारा ।।
अब लोचन जाने और तुह राजा । अब है नहीं मोर कुछ काजा ।।