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कमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए / महेन्द्र मिश्र
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कमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए,
कमहीं के बस में इन्द्र कितने भग पाये हैं।
कमहीं के बस ब्रह्मा शारदा को खेद चले
मृगी बन भगी मृगा रूप को बनाये हैं।
कामहीं के बस में भस्मासुर भस्म हुआ
कामहीं के बस में लाखों जोगी भरमाए हैं।
द्विज महेन्द्र बार-बार कहता हूँ करि प्रचार
किसको नहीं कामदेव गड़हे में गिराए हैं।