भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कमाया खाया करिए, बेटी सासरे के बास मैं / मेहर सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वार्ता- जब अंजना वहां से चल पड़ती है तो उसकी मां अंजना को क्या कहती है-

आया जाया करिए बतलाया माया करिए,
कमाया खाया करिए, बेटी सासरे के बास मैं।टेक

तूं दगाबाज धोखे की भरी, तनै म्हारे संग मिल कै किसी करी
मेरी त्यारी होली न्यारी, तेरी मारी मरूं बिचारी, तेरी सासरे की त्यारी,
थारी फिरको धजा आकाश मैं।

ईब लग थी ज्यान भरोसै म्हारै, क्यूं ना आगे की बात बिचारै
थारै लाणा बाणा सै, आणा जाणा सै, याणा स्याणा सै,
रहिऐ सास ससुर के पास मैं।

थारी शर्म की मारी डरती, तबीयत देख देख कै घिरती
कुछ करती धरती रहिए, सुमर्ति फिरती रहिए हरति
फिरती रहिए बेटी ओम की तलास मैं,

तरी करणी मैं पडग्या भंग, सुण सुण कै हुआं बोलता तंग
मेहर सिंह हल बहाणा के, ल्याणा ले जाणा के, गाणा बजाणा के
भूंडा लोग बतावै सै पास मैं।