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कमाल करै छै / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
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					कमाल करै छै हो कमाल करै छै
हमरो बुढ़बा दुलहबा कमाल करै छै
कोरोना के डरो से घरो मे बैठलो
प्रेमो से बोलै छै नै बोलै ऐठलो
बुतरू के साथें गदाल करै छै
हमरो बुढ़बा दुलहबा कमाल करै छै।
रंग-बिरंग साड़ी से पिया लुभाबै
मांग टीेका कंगना सब एन्हैं पिन्हाबै
देखी के एंेना धमाल करै छै
हमरो बुढ़बा दुलहबा कमाल करै छै।
आँखी के मटकी से की-की बताबै
दू गज के दूरी से हमरा सताबै
ठोरो के लाली क‘ लाल करै छै
हमरो बुढ़बा दुलहबा कमाल करै छै।
 
	
	

