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कम्प्युटर पचासा / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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वर्तमान समय सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति का है। सब कुछ कम्प्यूटर के माध्यम से ज्ञात किया जा सकता है, पर बच्चे जिस तरहमोबाइल, टीवी, लैपटॉप व्हाट्टसऐप से जुड़ रहे, उससे उन्हें हासिल कम हों रहा है खो ज़्यादा रहे हैं। समय का दुरुपयोग हो रहा है, ठोस ज्ञान की नींव कमजोर रखी जा रही है। यह गंभीर विषय है। इसी बात की चिन्ता'कम्प्युटर पचासा' कविता में...

कम्प्युटर भगवान हो गया
हर सवाल आसान हो गया॥1॥
पहले थे बच्चों के प्रिय खेल
खेल-खिलौने, हाथी रेल॥2॥
कभी कबड्डी, कभी पतंग
मन प्रसन्न और सुगठित अंग॥3॥
अब हाथों में मोबाइल है
टच स्क्रीन की स्टाइल है॥4॥
गाएं-झूमे-खेलें खेल
कार्टूनों की रेलम-पेल॥5॥
संस्कार सब भूल रहे हैं
मारधाड़ अब सीख रहे हैं॥6॥
छोटी उम्र, तन से कोपल
बोझ किताबी, शान्ति न दो पल॥7॥
मोबाइल से वे चिपके रहते
उसको ही अब दोस्त हैं कहते॥8॥
कहाँ जा रही है ये दुनिया
पूछ रही ये छोटी मुनिया॥9॥
कैसे उसको मई समझाऊँ
कम्प्युटर के गुण-दोष बताऊँ॥10॥
घर में इन्टरनेट क्या आया
सारी दुनिया साथ में लाया॥11॥
अब नहीं गुड़िया से कोई न खेले
नहीं लग रहे, संझा-मेले॥12॥
अब कारों की रेस देख लो,
महा भयानक-वेश देख लो,॥13॥
विध्वंस के सारे संदेश
खतरे में मस्तिष्क प्रदेश॥14॥
छोटी उम्र-चिड़चिड़े बच्चे,
गुस्सा ज़्यादा उम्र के कच्चे॥15॥
जाने कहाँ गया भोलापन
प्यार की बातें और अपनापन॥16॥
अपनी भाषा भूल रहे हैं
कम्प्युटर की सीख रहे है॥17॥
मोबाइल, टी। वी।–लैपटॉप
इन्हीं की पूजा इन्हीं का जाप॥18॥
माना ये उपयोगी हैं सब
कुछ अवगुण भी सुन लो अब॥19॥
सारा काम करे कम्प्युटर
फिर भी कोचिंग, लगे है ट्यूटर॥20॥
नींव ज्ञान की हुई कमजोर
अन्दर पोला पर बाहर शोर॥21॥
जहाँ ज़रूरी वहीं उपयोग करें
खुद-गुणा भाग-ऋण योग करे॥22॥
ज्ञान के मोती बाहर लाएँ
समय खेल में नहीं गवाएँ॥23॥
कम्प्युटर से लेना काम,
कभी न बनना उसके गुलाम॥24॥
कम्प्युटर का सदुपयोग करो
समय कभी मत व्यर्थ कर॥25॥