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कम है / सुधीर मोता
Kavita Kosh से
और मुझे दो रस थोड़ा
अभी इसमें मधुरा
कम है
और अभी ललाई दो
और तनिक दो तो तीव्र
और बढ़ाओ आंच कि यह
जीवन जल
उबला कम है
और करो बौछार रंगों की
और मलो अबीर
बदन पर
कह सकें सभी है तो यह
रंगदार
भले साफ
उजला कम है
यह जल का ही चमत्कार
या यह है ही प्यास अजब
यह हर पल
बढ़ती जाती
वह जितना
उतना कम है।