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करती है मिरे दिल में तिरी जल्वागरी रंग / सौदा
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करती है मिरे दिल में तिरी जल्वागरी रंग
इस शीशे में हर आन दिखाती है परी रंग
किस रंग में देखा न तिरे रंग का जल्वा
सब रंग में तू, पे[1] तिरा सबसे बरी[2]रंग
ऐ शीशागराँ, दिल कोई टूटा हो, बना दे
पैदा करे फिर और ही कुछ शीशागरी रंग
है ख़ाकबसर आज, ख़ुदा जाने चमन का
देख आयी है क्या जाके नसीमे-सहरी[3] रंग
किस गुल में ये जल्वा है जो अब कुंजे-क़फ़स[4]में
दिखलाती है मेरी मुझे बे-बालो-परी[5]रंग
कर जाम-ए-उरयानी[6] को ख़ाकस्तरी[7] 'सौदा'
है अज़्मे-सफ़र[8] याँ[9] से तो है ये सफ़री रंग