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करने का बंदोबस्त रहा, कुछ किया नहीं / श्याम कश्यप बेचैन

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करने का बंदोबस्त रहा, कुछ किया नहीं
खुशफ़हमियों में मस्त रहा, कुछ किया नहीं

टापू से अपने मैं कभी बाहर न आ सका
सरहद पे करता गश्त रहा, कुछ किया नहीं

सूरज हूँ एक ऐसा जो अब तक उगा नहीं
मैं बादलों में अस्त रहा, कुछ किया नहीं

दौलत मिली हुई थी विरासत में बेशुमार
फिर भी मैं तंगदस्त रहा, कुछ किया नहीं

जाऊँगा जब यहाँ से, कहेंगे गली के लोग
जब तक रहा वो मस्त रहा, कुछ किया नहीं