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करिया मेघ / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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ई करिया मेघ!
कौनें
ई सौंसे सरंग मेॅ
सलेटी रं के चट्टान काटी-काटी केॅ
सजाय देलेॅ छै
जे पुरवैया के झोंका सेॅ
हिन्नेॅ-हुन्नेॅ डोलै छै।

अजगुते बात कहोॅ
ई कारोॅ पहाड़ बोलै छै
ठहाका मारी हाँसै छै
धरती सरंग फाँसै छै।

ई बादल पहाड़ छेकै
आकि वहा समुन्दर के राकस
जे दीया-बत्ती लै केॅ
खोजी रहलोॅ छै
सरंगोॅ सेॅ लै केॅ
धरती तांय
पुरनका डीह
ई करिया मेघ!