करिए ईश्वर का गुणगान ।
है यह जग जिसकी संतान।।
नंदनँदन पटुके का छोर
हर लेता मन का अभिमान।।
कष्ट न पाये कोई जीव
रखिये सदा ह्रदय में ध्यान।।
कोटि काम छविधारी श्याम
कहता जग में कर्म प्रधान।।
करते रहिये जग उपकार
जीव सभी हैं ब्रह्म समान।।
कण-कण में परब्रम्ह निवास
संत वही जो ले पहचान।।
कृष्ण चरण में रखिये चित्त
सुनिए मृदु मुरली की तान।।