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कर चुकी है अब बहुत लिहाज़ जिंदगी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कर चुकी है अब बहुत लिहाज़ ज़िंदगी
माँग रही किये का हिसाब ज़िंदगी
थे ख़्वाब तुम्हारे वो मगर आँखे हमारी
डाल गयी प्यार पर हिजाब ज़िन्दगी
मोड़ खुल गये हैं नुमायां हैं रास्ते
बन गयी है इक खुली किताब ज़िंदगी
लड़ चुके लड़ाइयाँ हैं सब्र भी किया
हो गयी क्यूँ आज बिना आब ज़िन्दगी
हर कदम हैं ठोकरें मिलती रहीं मगर
माँग रही रोज़ ही जवाब ज़िंदगी
बद्दुआओं का कभी मरकज़ है ये बनी
और कभी बन गयी सवाब ज़िन्दगी
कोशिशें हज़ार कीं संभल नहीं सके
लुट रही है रोज बेहिसाब जिंदगी