Last modified on 3 जनवरी 2014, at 16:36

कर प्रणाम तेरे चरणोंमें लगता हूँ अब तेरे काज / हनुमानप्रसाद पोद्दार

कर प्रणाम तेरे चरणोंमें लगता हूँ अब तेरे काज।
पालन करनेको आज्ञा तव मैं नियुक्त होता हूँ आज॥
अन्तरमें स्थित रहकर मेरी बागडोर पकड़े रहना।
निपट निरंकुशचंचल मनको सावधान करते रहना॥
अन्तर्यामीको अन्तःस्थित देख सशंकित होवे मन।
पाप-वासना उठते ही हो नाश लाजसे वह जल-भुन॥
जीवोंका कलरव जो दिनभर सुननेमें मेरे आवे।
तेरा ही गुण-गान जान मन प्रमुदित हो अति सुख पावे॥
तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि! तुझमें यह सारा संसार।
इसी भावनासे अन्तरभर मिलूँ सभीसे तुझे निहार॥
प्रतिपल निज इन्द्रिय-समूहसे जो कुछ भी आचार करूँ।
केवल तुझे रिझानेको, बस, तेरा ही व्यवहार करूँ॥