-मैं आसमान की तस्वीर बनाना चाहता हूँ.
- बनाओ, मेरे बच्चे
.- मैनें बना लिया.
- और तुमने इस तरह
रंगों को फैला क्यूं दिया ?
- क्यूंकि आसमान का
कोई छोर ही नहीं है.
...
- मैं पृथ्वी की तस्वीर बनाना चाहता हूँ.
- बनाओ, मेरे बच्चे.
- मैनें बना लिया.
- और यह कौन है ?
- वह मेरी दोस्त है.
- और पृथ्वी कहाँ है ?
- उसके हैण्डबैग में.
...
- मैं चंद्रमा की तस्वीर बनाना चाहता हूँ.
- बनाओ, मेरे बच्चे.
- नहीं बना पा रहा हूँ मैं.
- क्यों ?
- लहरें चूर-चूर कर दे रही हैं इसे
बार-बार.
...
- मैं स्वर्ग की तस्वीर बनाना चाहता हूँ.
- बनाओ, मेरे बच्चे.
- मैनें बना लिया.
- लेकिन इसमें तो कोई रंग ही नहीं दिख रहा मुझे.
- रंगहीन है यह.
...
- मैं युद्ध की तस्वीर बनाना चाहता हूँ.
- बनाओ, मेरे बच्चे.
- मैनें बना लिया.
- और यह गोल-गोल क्या है ?
- अंदाजा लगाओ.
- खून की बूँद ?
- नहीं.
- कोई गोली ?
- नहीं.
- फिर क्या ?
- बटन
जिससे बत्ती बुझाई जाती है.
अनुवाद : मनोज पटेल