कलियाँ हुईं जवान कि उनके दिल धड़काए ख़ुशबू ने
भौंरों को जा-जाकर उनके पते बताए ख़ुशबू ने
दबे किताबों बीच सूखते फूलों से नाता जोड़ा
अपने थे जो धीरे-धीरे किए पराए ख़ुशबू ने
काँटों वाली सेज किसी की छूकर नरम गरम कर दी
जो गजरों की गैल कहीं जूड़े महकाए ख़ुशबू ने
बिरहा में जलती सजनी को साजन ने पाती भेजी
बुझे-बुझे मन में मधुमासी सपन सजाए ख़ुशबू ने