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कल की दौलत, आज की ख़ुशियाँ / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
कल की दौलत, आज की ख़ुशियाँ
उनकी महफ़िल, अपनी गलियाँ
असली क्या है, नकली क्या है
पूछो दिल से मेरे
तोड़ के झूठे नाते रिश्ते, आया मैं दिलवालों में
सच कहता हूँ चोर थे ज़्यादा, दौलत के रखवालों में
कल की दौलत, आज की ख़ुशियाँ...
उस दुनिया ने बात ना पूछी, इस दुनिया ने प्यार दिया
बैठा मन के राजमहल में, सपनों का संसार दिया
कल की दौलत, आज की ख़ुशियाँ...
आसमान पर रहने वालों, धरती को तो पहचानो
फूल इसी मिट्टी में महके, तुम मानो या न मानो
कल की दौलत, आज की ख़ुशियाँ...