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कल / संजय चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
जब भी कोई जवान लड़का गुस्से में चिल्लाता है
बूढ़े दौड़ पड़ते हैं उसकी तरफ़
जैसे उसका ग़ुस्सा ख़तरा हो
उनकी विद्वता के लिए
कल हमारे बच्चे
हमसे हमारी कविताओं का अर्थ पूछेंगे
और हम उनसे कहेंगे
कि बेटा
अभी आप पढ़िए।