कविता अच्छी है / कमलेश द्विवेदी
दिल की बात कही कविता में वो बोला-कविता अच्छी है.
लेकिन दिल की बात न समझा कैसे कह दूँ-हाँ अच्छी है.
धूप अच्छी है बारिश अच्छी ठंडी-ठंडी हवा अच्छी है.
मन का मौसम अच्छा है तो लगता सारी फ़िज़ा अच्छी है.
वे बोले-कुछ और बढ़ो तो रिश्ता तय करवा दूँगा मैं,
बात जहाँ तक बिटिया की है तो भाई बिटिया अच्छी है.
पति के बारे में अक्सर ही वो सोचा करती है ऐसे-
वो अच्छे तो कंगन-पायल-बेंदी-नथ-बिंदिया अच्छी है.
नींद सुकूँ की गर आ जाये तो फिर क्या करना है या
सागर से मिलने के पहले तक मीठी रहती है नदिया,
खारा-खारा सागर अच्छा या मीठी नदिया अच्छी है.
ये दुनिया तो जैसी कल थी आज भी है कल भी यों होगी,
सोच हमारी अच्छी है तो ये समझो दुनिया अच्छी है.
निर्वासित सीता ने पाया जाकर जिस कुटिया में आश्रय,
राजमहल की तुलना में तो वो ऋषि की कुटिया अच्छी है.
राधा को कान्हा से अच्छा कोई नहीं लगता है लेकिन,
कान्हा हरदम ये कहता है-मुझसे तो राधा अच्छी है.
दाम खिलौने का सुन उसने पापा को देखा फिर बोली-
घर में जो रक्खी है गुड़िया वो इससे ज़्यादा अच्छी है.