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कविता का सच / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय

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सच है,
कविता का समय के साथ होना
टकराना सच है
कविता का समय से
सच से दूर होते हुए समय के साथ
कविता का मुठभेड़ करना,
सच है
सच के साथ कविता का हो जाना
असमय में भी समय के साथ हो जाना
सच है I