मौत के बाद भी सुधर थोड़े जाएगी तुम्हारी कविता की ग़लती
मौत कोई प्रूफ़ रीडर थोड़े न होती है
मौत नहीं होती है कोई महिला सम्पादक
जिसे तुम्हारी कविता से सहानुभूति हो ।
एक बुरा बिम्ब रहेगा हमेशा के लिए एक बुरा बिम्ब ।
एक घटिया कवि जो मर गया
वह मरकर भी एक घटिया कवि ही कहलाएगा ।
दिमाग़ चाटने वाला मरकर भी चाटेगा दिमाग़
मूर्ख तो क़ब्र से भी मूर्खता ही बतियाएगा ।