कविता कोश सूत्र, बैंगलोर - अप्रैल 2018
22 अप्रैल 2018 को कविता कोश 'सूत्र' कार्यक्रम के अंतर्गत कविता पाठ का आयोजन बेंगलुरू में किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ कविता कोश के स्वयंसेवा गान से हुआ।
इस अवसर पर गौरव गोठी (सुडोकु- अंकों में लगी है संख्या बनने की होड़) , प्रतीक पलोड़ (पुष्प सार् रस सुगन्ध भेज के भँवर के हाथ नित्य ही उसे पुकारते, भीतर ही भ्रमण को मैं निकला), रचना उनियाल (कुछ किया किसी ने मरकर क्या-स्व.कवि भगीरथ,कुसुमाकर की ठोर गौरेया भी बैठ डाल पर सेंक रही है भोर), फै़ज़ अकरम (तलाशना छोड़ो हमें ख्वाबों के दरमियान हम फूल हैं मिलेंगें किताबों के दरमियान), अंबर सिंह, शोभा चन्द्रहास (पंखुड़ी पर ओस की बूँद सी होठों पर ठहरी हँसी की गूँज सी), गरिमा सक्सेना (क्षरित हुए संबंध नेह के जीवन के बदलावों से, पराया कौन है और कौन है अपना सिखाया है.), डा. कविता पनिया (मेरे वृक्ष सूख न पाए प्रतिदिन जल उलीचकर), ब्रजेश देशपांडे (सुर का एक भी तीर गर सच्चा लग जाए), रविशंकर मेहता (हाथों में मशाल है जुबां पर एक सवाल है, हम तीर कमान भालों से चलते हैं मशालों पे), रिचा श्रीवास्तव (सुना है उस दिन घाटी में चिनार के पत्ते हिले भी नहीं), व अमन जायसवाल (न होती वो एक लड़की न होती बस एक खिलौना) ने सस्वर कविता, गीत, और ग़ज़लों का पाठ किया।
कार्यक्रम के अंत में गरिमा सक्सेना द्वारा हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान देने वाली अव्यवसायिक संस्था कविता कोश के योगदान के बारे में लोगों को बताया व सभी को स्वयंसेवा भाव से कविता कोश से जुड़ने व साहित्यिक योगदान हेतु प्रेरित किया गया। कविताकोश के संपादक राहुल शिवाय द्वारा संपादित पुस्तक गुनगुनायें गीत फिर से पर चर्चा भी हुई तथा निकट भविष्य में बेंगलुरु में छोटे-बडे कार्यक्रम करने की बात रखी गई। जिसपर सबने अपनी स्वीकृति प्रदान की।
प्रतीक पलोड़ जी ने कविता कोश की वेबसाइट के सरल व सुव्यवस्थित रूप की जमकर प्रशंसा की। संचालन डॉ कविता पानिया व गरिमा सक्सेना ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रचना उनियाल जी ने किया।