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कविता को सम्बोधित ! / भारत यायावर
Kavita Kosh से
भाषा की जड़ों में तुम हो
हर विचार दर्शन रूपायित तुमसे
हर खोज, हर शोध की वजह तुम हो
सभ्यता की कोमलतम भावनाएँ तुमसे
कुम्हार ने तुमसे सीखा सिरजना
मूर्तिकार की तुम प्रेरणा
चित्रकार के चित्रों में तुम हो
हर दुआ, दुलार तुमसे
नर्तकी का नर्तन तुम हो
संगतकार का वादन
रचना का उत्कर्ष तुम हो