भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता तो दूर / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
बै बातां में मगन है
म्हैं कविता सारू जूझूं।
बां बातां ई बातां में कथ दी
सांतरी कविता।
म्हारै हाथ
कविता तो दूर
बात ई कोनी आई!