कविता में कितने क..?? / शमशाद इलाही अंसारी
कविता में हैं कई क
कब कहाँ किससे कैसे और क्यों
वि से हुआ विन्यास और व्याख्याता है बहु आयामी
तादात्मय, तारतम्यता,
तात्पर्य और ताल्लुक
मैं, किस विषय को क्यों
कैसे, किससे जोड़ कर
कब लिखूँगा..यह है मूल-प्रयोजन कविता का ।
चुने गए विषय की
व्याख्या कैसे करुँगा ?
या सीधे, हमलावर की भाँति
व्याख्या करते हुए
अपने, वाक्यों का विन्यास
संतुलित करुँगा..??
चुने गए विषय
और बिंब अथवा
उसके कलात्मक शिल्प को
आपस में कैसे ठीक बैठाया जाए
उसका तादात्मय ठीक हो
विचार-प्रवाह की तारतम्यता दुरुस्त हो
और, उससे महत्वपूर्ण सवाल है
जिस विषय को चुना है
उससे मेरा निजी क्या ताल्लुक है
उससे क्या वास्ता है
सापेक्ष अथवा निरपेक्षता में
कितनी गर्मी है इस संबंध में ?
जितनी आँच होगी इस रिश्ते में
उतनी ही चाश्नी बेहतर होगी
जब, तैयार होगी
वही होगी, कविता..
दुर्भाग्य से, कविता को
लिखने वाले यह नहीं जानते
कविता में कितने क होते हैं ?
रचनाकाल : 01.08.2010