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कविता में कियां कथीजै / सांवर दइया
Kavita Kosh से
खुमाणचंद जी री हेली में
रसोळी दांई कुळै
बाईस बरसां री एक पीड़
रंग में तवै नै लजावै
तुलण बैठै तो
कूंटल रा बाट कम पड़ जावै
पण है फूल बाई !
कुरड़ियै रै टापरै में
खून थूकती धांसै जिकी सांस
उणी अकूरड़ी माथै
फूस दांई बधै बारै बरसांळी बिमली
रामजी रै दियोड़ै डील नै कठै लेय जावै
कियां लुकोवै पाण ?
फूलबाई कानी कोई थूकै कोनी
बिमली सूं कोई चूकै कोनी
कूड़ कोनी आ बात जिकी
कविता में कियां कथीजै ?