भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता में / नवनीत पाण्डे
Kavita Kosh से
कविता में
लिखी हैं ये पंक्तियां
एक जना खोलता बोतल
टलमलाते हाथों से
ढाल रहा जाम
दूसरा
खींच रहा है आंखों से
मेरा पाठक बांच रहा है यह कविता
ढूंढते हुए कविता