कविता यूं ही नहीं आती है
खून से सींचना
कविता को
यह मामूली बात है,
कविता तो
हड्डी-हड्डी को खाती है
कविता यूं ही नहीं आती है।
1985
कविता यूं ही नहीं आती है
खून से सींचना
कविता को
यह मामूली बात है,
कविता तो
हड्डी-हड्डी को खाती है
कविता यूं ही नहीं आती है।
1985