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कविता सुनाई पानी ने-1 / नंदकिशोर आचार्य
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एक कविता सुनाई
पानी ने चुपके से धरती को
सूरज ने सुन लिया उसको
हो गया दृश्य उसका
हवा भी कहाँ कम थी
ख़ुशबू हो गई छूकर
लय हो गया आकाश
गा कर उसे
एक मैं ही नहीं दे पाया
उसे ख़ुद को
नहीं हो पाया
अपना आप ।