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कविता सुनाई पानी ने-2 / नंदकिशोर आचार्य
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क्या चीज़ें वही होती हैं
अंधेरों में
उजालों में होती हैं जैसी?
ख़ुद अपने से पूछो :
मैं क्या वही होता हूँ
तुम्हारे उजालों से जब
आता हूँ
ख़ुद के अंधेरों में !