भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता से ज़्यादा / मदन गोपाल लढा
Kavita Kosh से
कौन कहता है
मैंने कुछ नहीं लिखा
इन दिनों।
कविता में शब्द होते हैं
प्राण
जीवन का आधार।
मैंने रचा है
जीवन !
अब सोच
मेरा रचाव..
कविता से
कुछ ज़्यादा ही होगा।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा