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कविता - 5 / योगेश शर्मा

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मेरे कवि होने के ताने मिले हैं मुझे...
इस तरह
इन हालात में
प्रायः कविता लिखी नही जाती
बल्कि वह तो
आत्मा के प्रकाश पुंज से उतपन्न होकर
मेरी देह की परतों को फोड़ती हुई
चुपके से मेरे सभ्य समाज के
मरुस्थल में बहकर कहीं गुम हो जाती है।