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कविता / निइकीता स्तअनेस्कू /अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
बताओ ज़रा, एक दिन तुम्हें पकड़कर
मैं चूम लूँ तुम्हारे एक पैर का तलुआ
तो इसके बाद क्या तुम लंगड़ाकर नहीं चलोगी
मेरे चुम्बन को बचाए रखने की कोशिश में... ?
रोमानियाई भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रोमानियाई भाषा में पढ़िए
Nichita Stanescu
Poem
Spune-mi, dacă te-aş prinde-ntr-o zi
şi ţi-aş săruta talpa piciorului,
nu-i aşa că ai şchiopăta puţin, după aceea,
de teamă să nu-mi striveşti sărutul?...