नई कविता लिख रहा था कवि
कविता में
आकाश
वर्षा
फूल
तितली
बादल
थे अन्य अनेक
कवि ने पल–पल रोने वाली वर्षा को
असीम आकाश दिखाया
गुनगुनाने लगी वर्षा सुरीली आवाज़ में
कवि ने वर्षा के रिमझिम गीत
उदास फूल को सुनाया
आनन्दित होकर झूमने लगा फूल
कवि ने फूल के रंग उधार लेकर
तितली के शरीर में छिड़क दिए
चंचल-चंचल उड़ने लगी तितली
कवि ने तितली की लुभावनी उड़ान को
बादल में भर दिया
बाधाहीन उड़ने लगा बादल
कवि ने फूलदार बादल को आकाश में लटकाया
विलक्षण सुन्दर दिखा आकाश
इस प्रकार
आकाश और वर्षा
वर्षा और फूल
फूल और तितली
तितली और बादल
बादल और आकाश को जोड़े जैसा
एक कवि
स्थापित करता है बहुतों के दिल में प्रेम ।