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कवि का भाग / अज्ञेय
Kavita Kosh से
कवि का है भाग यही
आग से आग तक
जलना गलना
गलाना मन्दिर जिसका भी हो
प्रतिमा बनाना-बैठाना नहीं-
प्रतिमा के प्राणों को सुलगाना।