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कवि कीट्स नै फेरूं पढ़िया / नारायणसिंह भाटी
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कालै ही म्हैं कीट्स नै
पाछौ पढियौ
म्हनै लागौ
कै एक पळ री जिंदगी में
लाख बरस जिया जा सकै है
अर लाख बरसां रौ इतिहास
एक पल रौ इतिहास है
पण इण पल रो खिंवण<ref>बिजळी सी चमक</ref>
लाख बरस लग तपियोड़ै
लोही री कांठळ हेठै
कदै कदास ही
मावटी<ref>माह महीने री बिरखा</ref> मींट टिमकारै ।
शब्दार्थ
<references/>