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कवि राजेश की स्मृति / सैयद शहरोज़ क़मर
Kavita Kosh से
कवि राजेश शर्मा की स्मृति में
आसमान को ठेंगा दिखाने के
मुग़ालते में इमारत
बोधगयामें ज़ब्त नर-कंकाल की
जीवित प्रदर्शनी
'एक कवि गिरकर मर गए'
साक्षी समय ने कहा
नहीं !! वे सहस्त्रों मरकर गिरे।
10.08.1997