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कश्मीर / कुंदन अमिताभ

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आतंक केरऽ छुच्छे बहॅे समीर
काश वू नै होतियै कशमीर
जिनगी जहाँ जरै बदस्तूर
काश वू नै होतियै कशमीर।
साजिश रंजिश गर्दिश में छै कपार
बसंत छै, नै लौकै छै बहार
खदबद-खदबद सगरे आतंकी जहर
काश वू नै होतियै कशमीर।
सूरज उगलै पर घुप्प अन्हार
रायफल, ग्रेनेड, आर.डी.एक्स. के पथार
मानव बम दानव दम हवा में छै छुच्छे चीत्कार
काश वू नै होतियै कशमीर।
हारी गेलै मानवता के पुकार
कमान गेलै जहाँकरऽ सीमा पार
मुशर्रफ-बुश के होलै सपना साकार
काश वू नै होतियै कशमीर
चली गेलै कोय कही केॅ शब्द चार
धरती पेॅ स्वर्ग छै तेॅ कश्मीर में पर
नश्वर शरीर नश्वर सौंसे संसार
काश वू नै होतियै कशमीर।