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कसक / सांवर दइया

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कोनी
हां, कोनी
आ भूख भाषा री कोनी

कोनी
हां, कोनी
कोई कसक कोनी काळजै में
          कीं रचण खातर

है
हां,है
खुद नै थरपण री भूख

है
हां,है
किणी पद-पुरस्कार खातर
       ईसकै री आग
जठै-कठै लाधै मौको
उछाळै एक-दूजै री पाग

गिणीजतै लोगां में पूजीजता लोग
आरती रा बोल बांचणियां नै
कंठै करावै कोकशास्त्र
जमीन सूं जुड़ जुड़ां सोधणियां नै
सिखावै आभै कानी थूकणो

संघे शक्ति कलियुगे रै नांव
ठौड़-ठौड़ थरपै मतलब रा मठ
बेच खाया
काण-कायदा-लाज
पग-पग माथै मंड मेल्यो है
         अखाड़ो आज

अबै अठै
सरजण रा सुर क्यूं सोधै
ओ म्हारा बावळा मन !
उठ !
अंवेर आखर
जोड़ आंनै कीं रच
अणरच्यो हुवै जिको आज तांई
रचण रो मौड़ थारी कलम रै माथै

कसक है कोई जे थारै काळजै में
थारी पीड़ नै दै रूप कोई नुंवो ।