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कसम से आज मेरे साथ वो कमाल हुआ / ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'

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कसम से आज मेरे साथ वो कमाल हुआ।
तुम्हारे प्यार की खुश्बू से मालामाल हुआ।

उछालकर के जो पत्थर शरारती भागा,
जरा सी बात पे कितना बड़ा बवाल हुआ।

न अपने वोट की क़ीमत समझ सके हम तुम,
तभी तो खेल यहाँ पूरे पांच साल हुआ।

तुम्हें तो शौक़ था खा पी के चल निकलने का,
तुम्हें पता भी है जीना मेरा मुहाल हुआ।

नहीं था ठीक तभी साथ उसका छोड़ दिया,
न 'ज्ञान' आज तलक फिर कोई मलाल हुआ।